देहरादून: केंद्र सरकार की नई परिवहन नीतियों के विरोध में शुक्रवार को ट्रांसपोर्टरों की देशव्यापी हड़ताल में उत्तराखंड में करीब छह लाख व्यावसायिक वाहनों के पहिए थमे रहे। इस दौरान करीब 100 करोड़ का काम प्रभावित होने का दावा ट्रांसपोर्टर कर रहे। ट्रकों की हड़ताल बेमियादी चलेगी, जबकि प्राइवेट बसों, टैक्सी, मैक्सी, विक्रम, ऑटो आदि यात्री वाहनों के ट्रांसपोर्टरों ने एक दिवसीय समर्थन देकर संचालन ठप रखा। हड़ताल के चलते हजारों यात्रियों को परेशानी हुई। स्कूली वाहन न चलने से बच्चों को पैदल या निजी वाहनों से स्कूल जाना पड़ा। इस दौरान ई-रिक्शा संचालकों ने जमकर चांदी काटी और मनमाना किराया वसूला।
ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के बैनर तले देशव्यापी हड़ताल का प्रदेश में काफी असर देखने को मिला। रोजाना दौडऩे वाले लगभग दो लाख छोटे-बड़े ट्रकों के पहिये तो गुरुवार की मध्य रात्रि से ही थम गए थे जबकि चार लाख सार्वजनिक यात्री वाहनों के पहिये शुक्रवार की सुबह थमे। हड़ताल में टैक्सी-मैक्सी के शामिल होने से पहाड़ की लाइफ-लाइन थमी रही। पहाड़ में यही वाहन सार्वजनिक परिवहन सेवा का सबसे बड़ा साधन हैं।
गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में पर्वतीय व दूरस्थ मार्गों के यात्री पूरे दिन सड़कों पर खड़े होकर वाहन की तलाश करते रहे। परिवहन विभाग द्वारा रोडवेज प्रबंधन को प्रदेश में अतिरिक्त बसें लगाने के निर्देश दिए गए थे, मगर रोडवेज सुचारू सेवाएं देने में नाकाम रहा। हड़ताल के चलते कृषि मंडी में आवक पर व्यापक असर पड़ा। कुछ जगह वाहन संचालन पर हड़तालियों की वाहन संचालकों से झड़प भी हुई।
उत्तरकाशी में मध्य प्रदेश के कुछ यात्रियों को लेकर जा रहे वाहन को रोकने पर विवाद भी हुआ। देहरादून में भी ऑटो व विक्रम के कुछ जगह संचालन पर झड़पें हुईं। देर शाम यात्री वाहनों का संचालन तो शुरू हो गया पर ट्रकों के पहिये थमे रहे। देहरादून ट्रक ऑपरेटर्स एसो. के अध्यक्ष हरभजन सिंह मान ने बताया कि प्रदेशभर में दो लाख ट्रकों समेत लगभग छह लाख वाहनों के पहिये थमे रहे। अकेले देहरादून में करीब 15 हजार ट्रक खड़े रहे।