श्राइन बोर्ड के खिलाफ शिव प्रसाद ममगाईं ने पद से इस्तीफा दिया

राज्य ब्यूरो। प्रदेश सरकार के चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के निर्णय से चारधाम के पुरोहितों व हक-हकूकधारियों में उबाल है। उन्होंने सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया है। इस कड़ी में चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, तीर्थ पुरोहितों ने पूजन न करने की चेतावनी दे डाली।

आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा। आचार्य ममगाईं ने कहा कि चारों धामों के हक हकूकधारियों पर किसी भी तरह की आंच आती है तो उन्हें अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।

प्रदेश सरकार ने बीते रोज कैबिनेट के जरिये प्रदेश में चारों धामों और इनके सहयोगी 51 मंदिरों को शामिल करते हुए चारधाम श्र्राइन बोर्ड के गठन का निर्णय लिया था। इसमें व्यवस्था यह की गई कि बोर्ड में चारों धाम के पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों का भी प्रतिनिधत्व रहेगा और रावल समेत अन्य नियुक्तियां परंपरानुसार ही होंगी। दावा किया गया कि हक-हकूकधारियों के हितों को भी सुरक्षित रखा जाएगा।

सरकार के इस निर्णय को तीर्थ पुरोहितों ने छलावा बताया है। उन्होंने देहरादून में बैठक करने के बाद मीडिया के सामने अपना विरोध जताया। उनका कहना है कि प्रस्तावित एक्ट में कई खामियां है, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। वहीं, चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाईं ने भी तीर्थ पुरोहितों के समर्थन में मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंपा।

इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने तीर्थ पुरोहितों का पक्ष रखा। आचार्य ममगाईं ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने मांग रखी कि मंदिरों में पूजन व आंतरिक कार्यों में कोई छेड़छाड़ न की जाए। धामों के पुजारियों की परंपरा को भी यथावत रखा जाए।

इस पर मुख्यमंत्री की ओर से तीर्थ पुरोहितों को तीन दिसंबर तक का समय उपलब्ध कराने की बात कही गई। ममगाईं ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें तीन दिसंबर तक प्रस्ताव देने को कहा है। इसके बाद चारधाम श्राइन प्रबंधन बोर्ड विधेयक में संशोधन किया जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों का पक्ष रखने के साथ ही मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भी उन्होंने सौंप दिया है।

तीर्थ पुरोहितों ने चारधाम में पूजन न करने की दी चेतावनी

चारधाम श्राइन प्रबंधन बोर्ड विधेयक-2019 के कैबिनेट से मंजूरी के बाद तीर्थ पुरोहितों का पारा चढ़ा हुआ है। तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के बैनर तले चारधाम और अन्य मंदिरों के पंडा-पुरोहितों ने खुलकर विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है।

तीर्थ पुराहितों का कहना है कि श्राइन बोर्ड के गठन से पुरोहितों के अधिकारों के हनन के साथ ही धार्मिक परंपराओं से भी छेड़छाड़ होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए बगैर बोर्ड का गठन किया तो वे आगामी यात्रा काल में मंदिरों में पूजन नहीं करेंगे।

देहरादून में तीर्थ पुरोहितों की महापंचायत के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि किसी भी कीमत पर श्राइन बोर्ड का गठन नहीं होने दिया जाएगा। सरकार को आवश्यकता है कि पहले यहां चारधामों में संचालित व्यवस्थाओं को समझे।

महामंत्री हरीश डिमरी ने मांग की कि सरकार अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करे, अन्यथा तीर्थ पुरोहित चारधामों के शीतकालीन पूजा स्थलों पर धरना शुरू कर देंगे। केदार सभा के तीर्थ पुरोहित सुरेंद्र प्रसाद शुक्ला और गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि सरकार सबसे पहले श्राइन बोर्ड की परिभाषा को आम लोगों को समझाए।

उन्होंने आरोप लगाया कि श्राइन बोर्ड के गठन के पीछे सरकार की मंशा तीर्थ पुरोहितों के हकों को समाप्त करना है। इसके अलावा तीर्थ पुरोहितों ने चेतावनी दी कि विरोध स्वरूप विधानसभा घेराव किया जाएगा। इस संबंध में एक बैठक बुलाई गई है।

इस दौरान बदरीनाथ तीर्थ पुरोहित उमेश सती, डॉ. बृजेश सती, संजीव सेमवाल, यमुनोत्री मंदिर समिति से जगमोहन उनियाल, रजनीकांत सेमवाल, विनोद कोठियाल आदि उपस्थित थे। वहीं, तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के एक दल ने केदारनाथ विधायक मनोज रावत से भी मुलाकात की। जहां विधायक ने भी उनका समर्थन किया।

तीर्थ पुरोहितों की आपत्तियां

तीर्थ पुरोहितों के अनुसार अब तक मंदिर समितियों के माध्यम से ही मंदिरों में पूजा, चंदन, चढ़ावा समेत अन्य कार्यों के लिए स्थानीय लोगों की नियुक्तियां होती रही हैं। लेकिन, श्राइन बोर्ड बन जाने पर यह सारे अधिकार समितियों से छिन जाएंगे। तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि श्राइन बोर्ड के गठन से परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ ही छेड़छाड़ की संभावना है।

श्राइन बोर्ड के तहत यह रहेगी व्यवस्था

-उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा व टिहरी में स्थित 51 मंदिरों का कार्य संभालेगा श्राइन बोर्ड।

-बदरीनाथ-केदारनाथ अधिनियम-1939 के अंतर्गत 36 मंदिरों की व्यवस्थाएं संचालित होती आईं हैं। जबकि, गंगोत्री व यमुनोत्री इससे अलग हैं।

-मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विभागीय समन्वय समिति बनाई जाएगी, जिससे प्रबंधन और यात्रा व्यवस्थाओं को संचालित किया जा सके।

श्राइन बोर्ड गठन का विरोध जताया

राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा के सांसद प्रतिनिधि ने भी सरकार के श्राइन बोर्ड गठन के फैसले का विरोध किया है। सांसद प्रतिनिधि विकास चौहान ने कहा कि सरकार का यह फैसला तीर्थ पुरोहितों के हित में नहीं है। आरोप लगाया कि राज्य सरकार बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत अन्य मंदिरों का सरकारीकरण करना चाहती है। इसका विरोध जायज है।

कहा कि चारधाम में अनादिकाल से जो परंपराएं चली आ रही हैं, तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारी सदियों से उनका निर्वहन करते आ रहे हैं। ऐसे में श्राइन बोर्ड के गठन से धामों में सरकारी हस्तक्षेप का रास्ता बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। इस संबंध में जल्द सांसद प्रदीप टम्टा भी मुख्यमंत्री से बात करेंगे।

उत्तरकाशी में गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों ने किया प्रदर्शन

प्रदेश सरकार की ओर से वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव का तीर्थ पुरोहितों ने विरोध तेज कर दिया है। उत्तरकाशी में गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही श्राइन बोर्ड के प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की।

उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री धर्मशाला में गंगोत्री के तीर्थ पुरोहित एकत्र हुए। यहां गंगोत्री के तीर्थ पुरोहितों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ नारेबाजी की। तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि श्राइन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को लेकर पुरोहितों को अंधेरे में रखा गया।

गंगोत्री मंदिर समिति के सह सचिव राजेश सेमवाल ने कहा कि चारधाम को किसी भी हाल में श्राइन बोर्ड में नहीं आने दिया जाएगा। श्राइन बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूक खत्म हो रहे हैं। इस पर सरकार अपनी मनमानी कर रही है।

उन्होंने सरकार पर तीर्थ पुरोहितों से झूठ बोलने का आरोप लगाया। कहा कि यह आंदोलन अब धाम से लेकर विधानसभा तक चलेगा। प्रदर्शन करने वालों में अरुण कुमार सेमवाल, अशोक सेमवाल, रमेश सेमवाल, प्रकाश सेमवाल, दीपक सेमवाल, कमल नयन सेमवाल, हरदीप सेमवाल आदि मौजूद थे।

खुशीमठ यमुना मंदिर परिसर में किया प्रदर्शन

सरकार की ओर से चारधाम क्षेत्र के मंदिरों को श्राइन बोर्ड के अंतर्गत लाने के प्रस्ताव को लेकर यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित एवं पंच पंडा समिति ने कड़ा विरोध जताया है। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि उन्हें बिना विश्वास में लिए और बिना उनकी सहमति लिए श्राइन बोर्ड के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी दिए जाने से तीर्थ पुरोहित आहत हैं।

पंच पंडा समिति एवं यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों ने मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खुशीमठ मंदिर प्रांगण में एकत्रित होकर सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि वह विकास के विरोधी नहीं हैं। विकास के नाम पर तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूकों के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। अपने हक-हकूकों को लेकर उन्हें मजबूर होकर आंदोलन एवं आमरण अनशन करने को बाध्य होना पड़ेगा।

मंदिर परिसर में तीर्थ पुरोहितों एवं पंच पंडा समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने इस एक्ट के विरोध में जमकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। इस मौके पर यमुनोत्री मंदिर समिति के प्रवक्ता बागेश्वर उनियाल, पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल, गजेंद्र उनियाल, सुभाष उनियाल, मदन उनियाल, सुनील उनियाल, रमेश उनियाल आदि उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *