सर्वना भवन रेस्तरां के संस्थापक पी. राजगोपाल का निधन हो गया है। आज विदेशों में भी श्रवण भवन की 80 शाखाएं खुली गई है।
नई दिल्ली, सर्वणा भवन रेस्तरां के संस्थापक पी. राजगोपाल का निधन हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काटने के लिए बीते मंगलवार को ही सत्र अदालत में राजगोपाल ने समर्पण किया था। जेल में दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। सुप्रीम कोर्ट से राजगोपाल ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए और समय मांगा था, लेकिन याचिका खारिज होने के बाद उन्हें समर्पण करना पड़ा। वह एम्बुलेंस से अदालत पहुंचे थे।
बता दें कि न्यायमूर्ति एन. वी. रमण के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने स्वास्थ्य कारणों से समर्पण के लिए और वक्त देने की राजगोपाल की याचिका खारिज कर दी थी। पीठ ने कहा कि मामले की अपील पर सुनवाई के दौरान उनकी बीमारी का मुद्दा नहीं उठाया गया था। राजगोपाल ने अक्टूबर 2001 में अपने होटल के एक कर्मचारी की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी थी, क्योंकि वह उसकी पत्नी से विवाह करना चाहता था। इस मामले में उम्रकैद की सजा काटने के लिए उसे सात जुलाई को समर्पण करना था।
पी. राजगोपाल ने सजा से बचने के लिए उन्होंने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में अपील की मगर वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली, कोर्ट ने उन्हें दोषी मनाते हुए आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है। पी राजागोपाल एक निम्न परिवार से थे। 1981 में उन्होंने चेन्नई में एक जनरल स्टोर (किराने की दुकान) खोली, इसे मद्रास के नाम से खोला गया था। इस काम में राजागोपाल को बहुत अधिक कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने कुछ खाने पीने का रेस्टोरेंट टाइप का खोलने का मन बनाया। ये वो दौर था जब लोग घर से बाहर खाने के लिए सोचते भी नहीं थे। घर से खाकर निकलते थे और वापस घर पर ही आकर खाया करते थे। ऐसे में इस तरह की चीजें सोचना अपने आप में एक बड़ा निर्णय था। मगर राजागोपाल ने ये सोचा और सर्वणा भवन के नाम से एक रेस्टोरेंट खोला, इस रेस्टोरेंट में सांभर, वाडा, इडली डोसा जैसी चीजें शामिल की गई। चेन्नई के लोगों के लिए ये वो चीजें थी जिसे वो घर से बाहर निकलकर खा सकते थे। इसमें इन चीजों के टेस्ट पर खास ध्यान दिया गया जिससे लोगों को घर जैसा अहसास हो सके। अब यदि कोई घर के बाहर परिवार के साथ कहीं कुछ खाना चाहता था तो उसके लिए पी राजागोपाल का सर्वणा भवन बेहतर विकल्प था।
चेन्नई में सर्वणा भवन की कामयाबी को देखते हुए पी राजागोपाल ने लेसेस्टर स्क्वायर से लेक्सिंगटन एवेन्यू तक सर्वणा भवन की शाखाएं खोल दी। इसी के साथ देश में सभी प्रमुख जगहों पर इनकी शाखाएं खोली गई। धीरे-धीरे सर्वणा भवन की लोकप्रियता बढ़ती गई। साउथ इंडियन खाने के शौकीन लोगों के ये बेहतरीन विकल्प बन गया। कुछ ही समय में इसने अपनी एक जगह बना ली। आज विदेशों में भी सर्वणा भवन की 80 शाखाएं खुली गई है। पी राजागोपाल ने विदेश में रहने वालों को भी साउथ इंडियन खाने का टेस्ट उन तक पहुंचाया। यूनाइडेट स्टेट, गल्फ कंट्री, यूरोप और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी आज सर्वणा भवन की शाखाएं खुली हुई हैं। विदेश में रहने वाले तमाम इंडियन्स को आज सर्वणा भवन का साउथ इंडियन खाना खूब भाता है।
साल 2000 में राजागोपाल की निगाहें अपने यहां काम करने वाले एक कर्मचारी की बेटी पर पड़ी, वो उसे अपनी तीसरी पत्नी के तौर पर चाहता था। इसके लिए उसने एक ज्योतिषी की सलाह भी ली। कर्मचारी की ये बेटी पहले से ही शादीशुदा थी, इस वजह से राजागोपाल की बात खत्म हो गई। मगर राजागोपाल ऐसे हार मनाने वालों में नहीं थे। उन्होंने प्रयास जारी रखा। उस महिला से शादी करने के लिए राजागोपाल ने महिला, उसके पति और उसके परिवार को महीनों तक धमकवाया, पति के साथ मारपीट और अन्य ज्यादतियां की गई। मगर किसी से सफलता नहीं मिली।