आइजी की कार में सवार पुलिसकर्मियों ने प्रापर्टी डीलर को लूटा

देहरादून। चुनाव में धनराशि के दुरुपयोग को लेकर चल रही चेकिंग का फायदा उठाते हुए दून के तीन पुलिस कर्मियों ने प्रापर्टी डीलर से मोटी रकम लूट ली। हैरानी वाली बात यह है कि घटना में न केवल आइजी गढ़वाल अजय रौतेला की सरकारी स्कार्पियो प्रयोग की गई, बल्कि आरोपितों में शामिल एक दारोगा ने खुद को आइजी भी बताया।

यह मामला तब खुला जब प्रापर्टी डीलर ने जब्त धनराशि को लेकर आयकर विभाग व पुलिस से जानकारी मांगी। इस बारे में कोई जानकारी न मिलने पर उसने पुलिस के आला अधिकारियों को पूरी घटना बताई। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि तीनों आरोपितों को निलंबित कर दिया गया है। उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

घटना चार अप्रैल की है। प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार निवासी कैनाल रोड, बल्लूपुर डब्ल्यूआइसी में अपने एक परिचित से प्रापर्टी के लेनदेन से सबंधित रकम लेने गए थे। वहां से लौटते समय होटल मधुबन के सामने एक सफेद रंग की स्कार्पियो के चालक ने ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया।

आरोप है कि उनके रुकते ही स्कार्पियो से दो वर्दीधारी पुलिसकर्मी उतरे। चुनाव की चेकिंग के नाम पर उन्होंने कार की तलाशी ली और उसमें रखा कैश से भरा बैग कब्जे में ले लिया। जब अनुरोध ने इसका कारण पूछा तो वर्दीधारियों ने बताया कि स्कार्पियो में आइजी गढ़वाल बैठे हैं और वे वाहनों में ले जाए जा रहे कैश की चेकिंग कर रहे हैं। कैश जब्त कर आइजी की गाड़ी में रख दिया गया और एक पुलिसकर्मी अनुरोध के साथ उनकी कार में आइजी की कार के साथ चलने लगा।

सर्वे चौक के पास अनुरोध के साथ बैठे पुलिसकर्मी ने कार रोक दी और खुद उतर गया। अनुरोध ने उससे पूछा कि कहां जा रहे हैं तो आरोप है कि पुलिसकर्मी ने उन्हें धमकाकर वहां से चुपचाप चले जाने को कहा।

चूंकि जब्त की हुई धनराशि नियमानुसार आयकर विभाग के सुपुर्द की जाती है। लिहाजा अगले दिन अनुरोध आयकर कार्यालय पहुंचे। वहां कोई जानकारी न मिलने पर वह पुलिस कार्यालय पहुंचे, लेकिन यहां भी रकम को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली।

दो-तीन दिन भटकने के बाद अनुरोध पुलिस के आला अधिकारियों को सूचना दी तो बुधवार देर शाम मामला खुला। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि प्रारंभिक व गोपनीय स्तर पर कराई गई जांच के बाद खुलासा हुआ कि घटना में आइजी गढ़वाल की सरकारी स्कार्पियो प्रयोग की गई थी।

इसमें दून जनपद में तैनात दारोगा दिनेश सिंह नेगी ने खुद को आइजी बताया था, जबकि घटना में दो अन्य सिपाही मनोज व हिमांशु उपाध्याय शामिल थे। इनमें एक आरोपित आइजी का कार चालक है।

सीसीटीवी ने खोल दी पुलिसकर्मियों की करतूत

जिस पुलिस से आप दिन-रात सुरक्षा की उम्मीद करते हैं, जब वही लूटने का मन बना ले तो हालात क्या होंगे। कल्पना करने से मन सिहर उठता है। लेकिन, दून के तीन पुलिसकर्मियों ने यह दुस्साहस कर दिखाया और एक नामी प्रॉपर्टी डीलर से पैसों से भरा बैग लूट लिया। सीसीटीवी फुटेज ने उनके काले कारनामे की पोल खोली तो अफसरान भी सन्न रह गए। सूत्रों की मानें तो दारोगा समेत तीनों पुलिसकर्मियों को हिरासत में भी ले लिया गया है।

देहरादून के एक जाने-माने प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार ने जब पांच अप्रैल को पुलिस अफसरों को यह बताया कि उनसे वर्दीधारी पुलिसकर्मियों ने मोटी रकम लूट ली है तो अफसरों को भी सहसा यकीन नहीं हुआ। उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर को भरोसा दिलाया कि वह आश्वस्त रहें। मामले की जांच कर जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

आइजी अजय रौतेला ने एसएसपी निवेदिता कुकरेती को जांच सौंपी। एसएसपी ने एसपी सिटी श्वेता को जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा। यह जांच तीन दिन तक चली। इस दौरान पुलिस अफसरों ने डब्ल्यूआइसी, जहां प्रॉपर्टी डीलर ने अपने परिचित से रकम ली थी और घटना स्थल राजपुर रोड होटल मधुवन के पास तक के एक-एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाल डाले।

फुटेज देख अफसर चौंक गए। उसमें रेंज कार्यालय से अटैच सरकारी स्कॉर्पियो का नंबर दिख गया। यह गाड़ी आरक्षी चालक हिमांशु उपाध्याय चला रहा था, जबकि चालक के बगल की सीट पर सिपाही मनोज अधिकारी बैठा दिखा। मनोज घुड़सवार पुलिस है और पुलिस लाइन से संबद्ध है।

वहीं पिछली सीट पर सादी वर्दी में दारोगा दिनेश सिंह नेगी बैठा दिखा। यह फुटेज देखने के बाद सबकुछ शीशे की तरह साफ हो गया, क्योंकि अनुरोध पंवार की कार के साथ यह दिलाराम चौक के पास तक आई थी। उस समय मनोज अधिकारी प्रॉपर्टी अनुरोध की गाड़ी में बैठा था।

इस फुटेज को लेकर मंगलवार को आइजी गढ़वाल के समक्ष रखा गया। आइजी ने एसएसपी निवेदिता कुकरेती को बुलाकर उन्हें इस प्रकरण में कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया। लिहाजा आइजी ने मामले में तत्काल मुकदमा दर्ज करने को कहा, चूंकि घटनास्थल डालनवाला कोतवाली क्षेत्र का था, मामले में डालनवाला में अनुरोध की तहरीर पर आइपीसी की धारा 392 (लूट) व 120बी (साजिश रचना) की धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर लिया गया।

मुकदमा फिलहाल अज्ञात में है, लेकिन अफसरों ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में पूरा घटनाक्रम साफ हो गया है। ऐसे में आगे और तथ्य जुटाकर मुकदमे में तीनों के नाम जोड़ दिए जाएंगे।

स्थानांतरण के बाद दून से अटैच था दिनेश नेगी

आइजी अजय रौतेला ने बताया कि दारोगा दिनेश सिंह नेगी कुछ महीने पहले तक देहरादून जिले में स्थानीय अभिसूचना इकाई में तैनात था। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद उसका हरिद्वार तबादला कर दिया गया था। लेकिन, बाद में उसने देहरादून से अटैच करने का अनुरोध किया था, जिस पर उसे पुलिस लाइन देहरादून से संबद्ध कर दिया गया।

रकम को लेकर लुकाछुपी

प्रॉपर्टी डीलर से लूटी गई रकम को लेकर लुकाछुपी चल रही है। तहरीर में प्रॉपर्टी डीलर ने भी यह नहीं बताया कि बैग में कितनी रकम थी, वहीं आइजी ने भी यही बात दोहराई। उनका कहना है कि रकम को लेकर अभी ऊहापोह की स्थिति है। बैग में रकम थी भी या नहीं, इसे लेकर प्रमाण जुटाया जा रहा है। इस संबंद्ध में प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।

यह था घटनाक्रम

अनुपम शर्मा नाम के व्यक्ति ने प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध को बीती चार अप्रैल को डब्ल्यूआइसी में पेमेंट के लिए बुलाया। अनुरोध यहां पहुंचे और अनुपम और वहां के मैनेजर अर्जुन पंवार से मिले। इस बीच उनके परिचित अनुपम शर्मा रकम से भरा बैग उनके पास लेकर आ गए।

अर्जुन बैग लेकर अनुरोध को पार्किंग में खड़ी उनकी कार तक छोड़ने गया। अनुरोध कार लेकर वहां से निकल पड़े। होटल मधुवन के पास उन्हें सफेद रंग की स्कॉर्पियों से पीछा कर रहे पुलिसकर्मियों ने रोक लिया और चुनाव में चेकिंग का हवाला देकर रकम लूट ली।

पखवाड़े भीतर दूसरी बार खाकी पर लगा कलंक

पखवाड़े भीतर यह दूसरा मौका है, जबकि खाकी का दामन दागदार हुआ। अभी चंद रोज पहले ब्यूटीशियन से दुष्कर्म में पटेलनगर कोतवाली में तैनात सिपाही यशपाल सिंह को वसंत विहार पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वहीं अब तीन पुलिसकर्मियों ने प्रापर्टी डीलर को लूट कर खाकी का कलंकित कर दिया।

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब खाकी को शर्मसार होना पड़ा। इससे पहले भी पुलिस पर उत्पीड़न करने, अभद्रता करने के मामले सुर्खियों में आते ही रहे हैं। दरअसल, जिले की शांति एवं कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर पुलिस को अक्सर कठोर लहजे का प्रयोग और कड़े कदम उठाने ही पड़ जाते हैं।

मगर उंगली तब उठने लगती है, जब उन्हीं कामों में वर्दी भी शामिल होने लगती है जिसे रोकने का जिम्मा उसके कंधों पर होता है। खाकी को शर्मसार करने हर वारदात के बाद अफसरों ने यह भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसे घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी। लेकिन उसका हश्र क्या हुआ, यह अब लूट के रूप में सामने है। देखना होगा कि पुलिस के आला अधिकारी वर्दी के पीछे छुपे आपराधिक मानसिकता वालों पर कैसे अंकुश लगाती है।

केस एक: 18 फरवरी 2018 को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें पांच पुलिस कर्मी शराब पीते हुए दिख रहे थे। एसएसपी ने जांच कराई तो पाया वीडियो पुलिस लाइन में बनाया गया था और सभी वहीं कार्यरत थे। इस वीडियो ने पुलिस महकमे की खूब किरकिरी कराई थी। जांच के बाद मामले में पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।

केस दो: 30 अप्रैल 2018 को यूआइटी के छात्र से रेसकोर्स में बीस हजार रुपये वसूली का मामला सामने आया। छात्र को कैंट कोतवाली के बिंदाल चौकी पर तैनात एक सिपाही ने जुआ खेलने के आरोप में पकड़ा था, जब यह उसका थाना क्षेत्र नहीं था। मामले में एसएसपी ने सिपाही पर लूट का केस दर्ज और उसे निलंबित भी कर दिया।

केस तीन: 9 सितंबर 2018 को डालनवाला के डीएल रोड स्थित एक मकान से पुलिस ने बारह लोगों को जुआ खेलते पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि इसमें नेहरू कॉलोनी में तैनात सिपाही सुभाष भी शामिल था। पुलिस ने उसे मौके से गिरफ्तार कर लिया और सभी के खिलाफ जुआ अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया।

मामला बेहद गंभीर

आइजी गढ़वाल अजय रौतेला के मुताबिक, प्रापर्टी डीलर से लूट का मामला बेहद गंभीर है। आरोपित पुलिसकर्मियों को निलंबित करते हुए प्रकरण में मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है। साथ ही एक बार फिर सभी पुलिसकर्मियों को चेतावनी दी गई है कि वह उत्तराखंड पुलिस आचरण नियमावली के तहत ही कार्य व्यवहार करें। ऐसा न करने पर दंड भुगतने को तैयार रहें।

 

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