देहरादून। स्वास्थ्य विभाग प्रदेशभर में बच्चों को गुणवत्ताविहीन आयरन की गोलियां खिला रहा था। यह दवा रुद्रपुर लैब की जांच में फेल हो गई है। जिसके बाद अब विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। आनन-फानन में दवा की पूरी खेप वापस मंगा ली गई है। इसके अलावा आपूर्तिकर्ता पर भी विभाग कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
प्रदेशभर में दो साल से 19 साल के बच्चों में आयरन की कमी को दूर करने के लिए फेरस सल्फेट एंड फॉलिक एसिड की गोलियां दी जाती हैं।
ये गोलियां पिछले दो-तीन साल से खिलाई जा रही हैं। जिनकी आपूर्ति का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग ने विवेक फार्मा कैंप इंडिया लिमिटेड कंपनी को दिया था। करीब चार माह पहले कंपनी ने तकरीबन दो करोड़ गोलियों की आपूर्ति की थी। जिनकी कीमत 55 लाख के करीब बताई गई है। नियमानुसार किसी भी दवा की आपूर्ति के वक्त कंपनी स्वयं की लैब की रिपोर्ट संलग्न करती है। इसके अलावा भारत सरकार से अप्रूव्ड लैब से स्वतंत्र जांच कराई जाती है। बताया गया कि दवा के प्रयोग के बाद कई स्कूलों में बच्चों का स्वास्थ्य भी खराब हुआ था। जिस कारण उन्हें उपचार की जरूरत भी पड़ी।
दवा पर संशय के बाद सैंपल को जांच के लिए राजकीय प्रयोगशाला रुद्रपुर भेजा गया था। जहां परीक्षण के बाद फोलिक एसिड पिक कलर जूनियर की गोलियों का सैंपल फेल हो गया है। राजकीय प्रयोगशाला की रिपोर्ट के बाद अब किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए अधिकारियों ने इन दवाओं को वापस मंगाने के निर्देश दिए हैं। एमएचएम निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल ने इसकी पुष्टि की है। उनका कहना है कि आपूर्तिकर्ता कंपनी पर कार्रवाई पर भी विचार किया जा रहा है।
दागी पर मेहरबान विभाग
जिस कंपनी ने दवा की आपूर्ति की, वह पहले ही दागी बताई गई है। यह कंपनी साड़ी घोटाले से भी जुड़ी रही। यह साडिय़ां मार्केट रेट से ज्यादा दाम पर खरीदी गई। जिसके लिए क्रय नीति तक को ताक पर रख दिया गया। यहां तक की मार्केट सर्वे तक नहीं हुआ। साडिय़ों की गुणवत्ता खराब निकलने पर जांच का शिगूफा जरूर छोड़ा गया, पर हुआ अब तक कुछ नहीं। उस पर दागी कंपनी पर विभाग की मेहरबानी साफ दिख रही है।
दवा की 112 दुकानों के लाइसेंस निरस्त
औषधि नियंत्रण विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। ऊधमसिंहनगर में 112 दवा कारोबारियों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। चेकिंग के दौरान मिली खामियों के बाद नोटिस का संतोषजनक जवाब न देने पर औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी कुमाऊं मंडल ने यह कार्रवाई की।
बीते दिनों कुमाऊं मंडल के औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी हेमंत सिंह नेगी व ड्रग्स निरीक्षक ऊधमसिंह सुधीर कुमार ने जिलेभर की दवा की दुकानों, होलसेल स्टोर पर छापामारी की थी। कई दिनों तक हुई कार्रवाई के दौरान टीम ने जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, दिनेशपुर, रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता और खटीमा क्षेत्र में लाइसेंस के सत्यापन भी किए थे। इस दौरान कई स्तर पर अनियमितता पाई गई। यह लोग क्रय-विक्रय का ब्योरा तक नहीं दे पाए। इस पर 112 दवा कारोबारियों को नोटिस भेजा गया।
नोटिस देने के बाद भी उन्होंने जवाब नहीं दिया। जिन लोगों ने जवाब दिया वह संतोषजनक नहीं पाया गया। जिसकी रिपोर्ट औषधि निरीक्षक ने औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी हेमंत सिंह नेगी को भेजी थी। जहां से फिर नोटिस जारी किए गए। बावजूद इसके नोटिस का जवाब नहीं दिया गया। इसे गंभीरता से लेते हुए 112 लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। इधर, उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ ने इसे लेकर अपना विरोध प्रकट किया है। प्रांतीय महामंत्री अमित गर्ग का कहना है कि विभागीय अधिकारी तानाशाह रवैया अख्तियार कर रहे हैं। जनपद ऊधमसिंहनगर में नए लाइसेंस जारी नहीं किए जा रहे हैं। उस पर 112 दवा कारोबारियों को लाइसेंस एकसाथ निरस्त कर दिए गए हैं। जिससे मुश्किल जनता को उठानी पड़ेगी। विभाग को इस पर दोबारा सोचना चाहिए।