राजाजी के आंगन में गिद्धों की बहार, पर्यावरण विशेषज्ञ मान रहे शुभ

रायवाला, देहरादून : पर्यावरण प्रेमियों के लिए अच्छी खबर। हिमालय की तलहटी में स्थित राजाजी टाइगर रिजर्व में घोर संकटग्रस्त गिद्ध आबाद हो रहे हैं। अखिल भारतीय बाघ गणना के दौरान वनकर्मियों को पार्क की कांसरो रेंज में बड़ी संख्या में सफेद रंग के गिद्ध और शाहीन बाज दिखाई दिए हैं। इससे पार्क अधिकारी तो उत्साहित हैं ही, वन्य जीव विशेषज्ञ भी इसे पर्यावरण के लिए बेहद शुभ संकेत मान रहे हैं।

नदी, घाटी, पहाड़ी, मैदान और घने जंगल जैसी विविधताओं से भरे राजाजी टाइगर रिजर्व में एशियन हाथी, टाइगर, भालू, चीतल, सांभर, हाइना, मोर सहित कई वन्य जीवों का संसार बसता है। 350 से अधिक प्रजातियों के पङ्क्षरदे भी राजाजी पार्क में मौजूद हैं।

अब गणना कार्य में लगे वन कर्मियों को राजाजी की कांसरो रेंज की बुल्लावाला बीट में चील, बाज व गिद्ध की प्रजातियां दिखाई दी हैं। इनमें सबसे अधिक सफेद गिद्ध और शाहीन बाज हैं। रेंज अधिकारी दिनेश प्रसाद उनियाल के मुताबिक इनकी संख्या 50 से 60 के बीच है।

इतनी बड़ी संख्या में शिकारी पक्षियों में मौजूदगी मजबूत हो रहे पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है। उन्होंने बताया कि पारिस्थितिकीय तंत्र में शिकारी पक्षियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये पक्षी वातावरण को स्वच्छ रखने में मदद करते हैं। साथ ही मरे हुए जानवरों को खाकर बीमारियों को फैलने से रोकते हैं।

यह हैं भारतीय गिद्ध 

लाल सिर वाले गिद्ध को भारतीय काला गिद्ध या राजा गिद्ध भी कहते हैं। लंबी चोंच और सफेद पीठ वाला गिद्ध भी भारत में पाए जाने वाले गिद्ध की प्रजाति है, जो विलुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल है। यह मध्य और पश्चिमी से लेकर दक्षिणी भारत तक पाई जाती है और खड़ी चट्टानों में अपना घोंसला बनाती है। इस प्रजाति के गिद्ध अपमार्जक या मुर्दाखोर होते हैं और ऊंची उड़ान भरकर इन्सानी आबादी के नजदीक अथवा जंगलों में मृत पशु को ढूंढ लेते हैं। यह प्राय: समूह में रहते हैं।

घोर संकटग्रस्त प्रजाति में शामिल है गिद्ध

आइयूसीएन (अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ) ने भारत में पक्षियों की दस प्रजातियों को घोर संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल किया है। इनमें सफेद पीठ वाला और लाल सिर वाला गिद्ध भी शामिल है।

वासस्थल का नुकसान, पर्यावरण प्रदूषण, शिकार व भू-उपयोग में परिवर्तन इनकी संख्या में गिरावट की मुख्य वजह माने गए हैं। भारत में पशु चिकित्सा में इस्तेमाल किए जाने वाले डिक्लोफेनाक की वजह से भी इस प्रजाति के गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है।

प्रमुख वन संरक्षक ने ली जानकारी 

राजाजी टाइगर रिजर्व की कांसरो रेंज में गिद्ध पाए जाने से पार्क अधिकारी बेहद उत्साहित हैं। प्रमुख वन संरक्षक वन्य जीव धनंजय मोहन ने कांसरो रेंज में मौका मुआयना कर मातहतों से जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने बाघ गणना कार्य का निरीक्षण भी किया और रेंज अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। बताया कि राजाजी पार्क में चील, बाज और गिद्ध की 30 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। अनुकूल वातावरण मिलने से इनका कुनबा बढ़ रहा है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *