देहरादून: गत वर्षों से सबक लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू को लेकर अभी से कसरत शुरू कर दी है। विभाग की ओर से इंटेंसिव सोर्स डिटेक्शन सर्वे कराया जा रहा है। जिससे संभावित क्षेत्रों पर डेंगू के अटैक से पहले ही वहां छिड़काव आदि कराया जा सके।
बीते वर्षों में डेंगू का कहर प्रदेश में इस कदर छाया रहा कि स्वास्थ्य विभाग के भी हाथ-पांव फूल गए। इसका सबसे अधिक असर देहरादून में दिखा। वर्ष 2016 में 1434 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। यहां तक की तीन लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी।
वहीं मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को भी मैदान में उतरना पड़ा था। बीते वर्ष 198 केस पॉजीटिव पाए गए। स्वास्थ्य विभाग को डर है कि इस बार भी कहीं इसी प्रकार से डेंगू का डंक शहर में परेशानी खड़ी न कर दे। ऐसे में विभाग ने पहले ही सर्वे का काम शुरू कर दिया है।
इसके तहत दून में 200 से अधिक आशाएं संभावित स्थानों पर जाकर लिस्ट तैयार करेंगी। इसके बाद नगर निगम वहां पर छिड़काव करेगा। जानकारी के मुताबिक, डेंगू का मच्छर एक बार में तकरीबन दो सौ से अधिक अंडे देता है।
वहीं अंडे से लार्वा पैदा होने का चक्र काफी समय तक चलता है। ऐसे में एक बार छिड़काव करने से असर नहीं होता है। इसलिए जो स्थान चिह्नित होंगे, वहां पर कई बार छिड़काव किया जाएगा। जुलाई से लेकर नवंबर तक पानी के ठहराव को देखते हुए डेंगू के प्रकोप की संभावनाएं अधिक रहती हैं।
ऐसे में आशा कार्यकर्ताओं की मदद से दवाई घर-घर पहुंचाई जाएगी। जहां पानी के ठहराव की संभावनाएं रहेंगी, वहां दवा डालकर डेंगू के लार्वा व प्यूपा को पनपने से पहले ही खत्म कर दिया जाएगा। वीबीडी अधिकारी सुभाष जोशी का कहना है कि डेंगू को लेकर विभाग सतर्क है।
आशाओं के साथ मिलकर डेंगू के पनपने के स्थानों का सर्वे कराया जा रहा है। इसके अलावा दवा, प्लेटलेट्स आदि की उपलब्धता को लेकर भी कार्ययोजना तैयार की गई है।