रुद्रपुर: बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को तोल मोल के बोलना चाहिए। यह कहावत तब और अधिक प्रासंगिक हो जाती है जब बोलने वाले से अधिक जिम्मेदारी की उम्मीद हो। भाजपा विधायक राजेश शुक्ला इसमें गच्चा खा गए। कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत के दाहसंस्कार को लेकर उनके बिगड़े बोल भाजपा के लिए बड़ी झोल बन गए हैं। रावत का शुक्ला के नाम खुला पत्र सोशल मीडिया में तैर रहा है। ऐन चुनाव के मौके पर इस पत्र ने राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ा दी हैं। पत्र में हरीश रावत ने खुद को हरदा बताते हुए अपने संस्कारों, सनातनी परंपरा और धर्म को आदर्श मानते हुए विधायक शुक्ला को माफ करने की बात भी कही है।
दरअसल सोमवार को दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी की जनसभा में किच्छा से भाजपा विधायक राजेश शुक्ला ने जो बोला, वो किसी के गले नहीं उतर रहा। शुक्ला ने अमर्यादित बोल बोलते हुए हरीश रावत का दाहसंस्कार इस चुनाव में होने जैसी बात कह दी। मंगलवार को हरीश रावत ने शुक्ला को इसका संयमित और नपा-तुला जवाब एक खुले पत्र के माध्यम से दिया। यह पत्र सोशल मीडिया की सुर्खियां बना है। हरीश रावत ने पत्र के प्रारंभ में शुक्ला को आदरणीय और महोदय जैसे शब्दों से संबोधित करते हुए उन्हें नमस्कार किया है। लिखा है कि छोटे भाई आपने अपने जोशीले भाषण में उनका दाह संस्कार करने की जो इच्छा जाहिर की है वह सनातनी परंपरा का हिस्सा है। शुक्ला के राजनीतिक भविष्य की कामना करते हुए रावत ने आगे लिखा है कि उन्हें कतई मलाल नहीं है कि इन अपशब्दों का आपने मेरे लिए इस्तेमाल किया। उन्हें दुख इस बात का है कि आपने इन शब्दों से भारतीय राजनीति के संस्कारों और परंपराओं को अपमानित किया है। आपके इन शब्दों से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक की आत्मा को दुख पहुंचा होगा। प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी यानी उनके पिता पंडित राम सुमेर शुक्ला की आत्मा भी बेचैन होगी, जिनका खून आपकी रगों में दौड़ रहा है।
रावत ने राजेश शुक्ला को याद दिलाया कि मुख्यमंत्री रहते उन्होंने ही इस महान स्वतंत्रता सेनानी की याद में स्मृति द्वार का लोकार्पण किया था। वह यह कतई नहीं चाहते कि इस बयान के खिलाफ उनकी पार्टी के कार्यकर्ता कोई कार्रवाई या फिर चुनाव आयोग से शिकायत करें, वह तो शुक्ला की सद्बुद्धि की कामना करते हैं। उन्होंने कहा है कि हरदा होने के नाते वह शुक्ला को माफ करते हैं और अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से आपकी तरफ से माफी भी मांगते हैं। भविष्य में भी माफ करने की बात कही गई है। अंत में लिखा है कि मैं आपको माफ करता हूं, क्योंकि मैं हरदा हूं। बाद में हरीश रावत ने एक सभा में यहां तक कहा है कि दाहसंस्कार क्या, उनकी तो राख भी उत्तराखंड के काम आएगी।
भाजपा जिलाध्यक्ष ने दी सफाई
भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा भी दाहसंस्कार शब्द से बचते दिखे। इतना जरूर कहा कि दाहसंस्कार प्रतीकात्मक शब्द है, वह इसलिए बोला होगा, क्योंकि हरीश रावत का हार दा वाला प्रकरण चल रहा है। वह चार बार लोस चुनाव और दो बार विस चुनाव हार चुके हैं। उनकी पत्नी भी हारी हैं।
मुझे खेद है : शुक्ला
किच्छा विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि उन्हें यह नहीं कहना चाहिए था कि हरीश रावत का अंतिम संस्कार होगा। उन्हें यह कहना चाहिए था कि उनकी नीतियों का दाहसंस्कार होगा। अपने बयान पर उन्हें खेद है। वह रावत की दीर्घायु की कामना करते हैं। वह चाहते हैं कि रावत खूब जीयें सौ-डेढ़ सौ साल जीयें। लेकिन यह भी कहूंगा कि राजनीति में पत्नी और पुत्र तक ही सीमित रहेंगे तो उनका राजनीतिक अंत हो जाएगा।