शरीर से नुकसानदेह तत्वों को बाहर निकालने में यूरिनरी सिस्टम का रोल खास होता है। वैसे तो ये किसी को भी हो सकती है लेकिन स्त्रियों में इसकी आशंका ज्यादा होती है। जानेंगे बचाव व इलाज।
आमतौर पर स्त्रियां यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़ी समस्याओं को मामूली समझ कर अनदेखा कर देती हैं। सही समय पर उपचार न मिलने की वजह से यह गंभीर रूप धारण कर लेती है। जानते हैं कुछ ऐसी ही समस्याओं और उनके समाधान के बारे में, जो अक्सर स्त्रियों को परेशान करती हैं।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI)
यह इन्फेक्शन यूरिनरी ट्रैक्ट, ब्लैडर या किडनी में हो सकता है। आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण ऐसा होता है। पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों को यूटीआई की समस्या ज्यादा होती है क्योंकि उनके शरीर में यूरेथ्रा और एनस बहुत करीब होते हैं, जिससे स्टूल की कुछ गंदगी यूरिन के रास्ते में भी चली जाती है। यूरिन डिस्चार्ज करते समय जलन, रंगत बदलना, तेज़ बदबू, पेल्विक एरिया में दर्द, बुखार, नॉजि़या आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
क्या करें: पर्सनल हाइजीन और टॉयलेट की स्वच्छता का ध्यान रखें। खूब पानी पिएं। इसके बावज़ूद अगर कोई समस्या हो जाए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें।
गर्भावस्था में होने वाली समस्या
प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादातर स्त्रियों के लिए यूरिन का प्रेशर रोक पाना मुश्किल हो जाता है। डिलिवरी के दौरान पेल्विक एरिया की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं। इससे खांसते या छींकते समय कई बार यूरिन बाहर निकल आता है।
क्या करें: पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को मज़बूत बनाने के लिए एक्सपर्ट से सीखकर कीगल और पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज़ करना फायदेमंद साबित होता है।
किडनी में स्टोन
यूरिन में ज्यादा क्रिस्टल बनाने वाले पदार्थों, जैसे कैल्शियम और यूरिक एसिड के कारण ऐसे तत्व जमा होकर छोटे-छोटे कंकड़ के टुकड़ों जैसा रूप धारण कर लेते हैं। ऐसे स्टोन्स यूरिनरी ट्रैक्ट के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें किडनी और ब्लैडर भी शामिल है। उसका आकार 8 मिमी से कम हो और दर्द महसूस न हो तो सर्जरी कराए बगैर कुछ महीनों के अंतराल पर अल्ट्रासाउंड करवा के यह जानना ज़रूरी है कि कहीं उसका आकार बढ़ तो नहीं रहा? हालांकि आजकल यूरेटर और किडनी के स्टोन को बिना सर्जरी के निकालने की तकनीक विकसित हो चुकी है। फिर भी यह कार्य किसी कुशल विशेषज्ञ की निगरानी में किया जाना चाहिए।
क्या करें: अधिक मात्रा में पानी पिएं, पालक, टमाटर और बीज वाली सब्जि़यों का सेवन न करें, कैल्शियम युक्त पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बचें, जंक फूड से दूर रहें और नमक का सीमित सेवन करें।
यूरिन के साथ ब्लड
यूरिन में ब्लड आने (पीरियड का नहीं) की समस्या को चिकित्सा विज्ञान की शब्दावली में हेमाट्यूरिया कहा जाता है। यूरिन के साथ आने वाले खून की रंगत सामान्य से थोड़ी अलग हो सकती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द और यूरिन डिस्चार्ज करने में तकलीफ इस समस्या के प्रमुख लक्षण हैं। किडनी में स्टोन या ब्लैडर में इन्फेक्शन पर भी ऐसी समस्या हो सकती है।
क्या करें: यह कई गंभीर बीमारियों का संकेत है। अत: इसे पीरियड्स के साथ आने वाला ब्लड समझकर नज़रअंदाज़ न करें।