‘डैमेज कंट्रोल’ करने में जुटी कांग्रेस, चिदंबरम बोले- UPA कार्यकाल में हमने जेहादियों को सिखाया सबक

नई दिल्ली । कश्मीर को लेकर शुरू हुई सियासी जंग अब खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान को समर्थन ने तो इस आग में घी डालने का काम किया है। इसके बाद से जहां भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है, तो वहीं कांग्रेस डैमेज कंट्रोल करने में लगी हुई है। कांग्रेस अब ये दावा कर रही है कि उसने जम्मू-कश्मीर में जेहादियों का खात्मा किया है।

दरअसल, कश्मीर को लेकर पहले गुलाम नबी आजाद और फिर कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज के बयान से हंगामा खड़ा हो गया है। इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली के ब्लॉग ने तो कांग्रेस पर आरोपों की झड़ी लगा दी। जिसके बाद अब कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम पार्टी के बचाव में बोलते नजर आए हैं। उन्होंने दावा किया है कि यूपीए कार्यकाल के तहत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में जेहादियों को सबक सिखाया और हिंसा के स्तर को काफी हद तक कम किया। चिदंबरम ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए।

चिदंबरम का ट्वीट, सफाई में कहा

उन्होंने दूसरे ट्वीट पर सवाल किया, ‘कौन भूल सकता है कि कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा में अपने पूरे नेतृत्व को खो दिया? राहुल गांधी पर लगे आरोपों के जवाब में उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘आरोप है कि जेहादियों और माओवादियों ने राहुल गांधी की सहानुभूति अर्जित की है, ये हास्यात्मक और बेतुका आरोप है। कांग्रेस इन दो समूहों का हमेशा से विरोध करती आई है।’

जेटली के ब्लॉग को लेकर चिदंबरम का ट्वीट

चिदंबरम का ये ट्वीट वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस ब्लॉग के बाद आया है जिसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए लिखा था कि ये बड़े आश्चर्य की बात है कि उन्हें इस बात से लेना देना नहीं है कि वो किसका साथ दे रहे हैं। जेएनयू और हैदराबाद में भारत विरोधी नारे लगाने वालों से उन्हें खास हमदर्दी है। वित्त मंत्री ब्लॉग में लिखते हैं कि अगर ऐतिहासिक और वैचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी ने इस तरह के संगठनों का विरोध किया होता तो असहाय लोगों के दिलों में राहुल जगह बना पाने में कामयाब हुए होते। उन्होंने माओवादी उग्रवादियों और जेहादी तत्वों के बीच बढ़ते समन्वय पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की गलत कश्मीर नीति का सबसे बड़ा खामियाज़ा कश्मीर घाटी के नागरिकों ने भुगता है।

ट्विटर यूजर्स ने उठाई खिल्ली

गौरतलब है कि कश्मीर पर दिए बयानों को लेकर कांग्रेस न सिर्फ राजनीतिक पार्टियों की किरकिरी का शिकार हुई है, बल्कि लश्कर से मिले समर्थन के बाद सोशल मीडिया पर भी पार्टी को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। ट्विटर यूजर्स चिदंबरम के दावे के जवाब में कर रहे हैं, ‘इसी वजह से हाफिज आपकी पार्टी की तारीफ कर रहा है।’ एक अन्य ट्वीट यूजर ने लिखा, ‘ये बिल्कुल भारत से गरीबी उन्मूलन की तहत ही है! चार दशक पहले इंदिरा गांधी चिल्ला रही थीं! गरीबी हटाओ! अब कोई गरीबी नहीं है? या जम्मू-कश्मीर में हालिया हिंसा की तहत, ये गरीबी भी 2014-2018 के बीच देखने को मिली है?

गुलाम और सोज ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें
बता दें कि गुरुवार को गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि केंद्र सरकार की नीति का सबसे ज्‍यादा खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में चार आतंकियों को मारने के लिए 20 आम नागरिक भी मारे जाते हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते कहा कि सेना का एक्शन नागरिकों के खिलाफ ज्यादा और आंतकियों के खिलाफ कम है। गुलाम के इस बयान को लश्कर-ए-तैयबा ने समर्थन कर दिया। लश्कर प्रवक्ता ने कहा कि शुरू से ही हमारी राय वही है जो गुलाम नबी आजाद की रही है। हिंदुस्तान कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाकर दोबारा जगमोहन युग की शुरुआत करना चाहता है और निर्दोषों का कत्लेआम करना चाहता है। तो वहीं, कांग्रेस के अन्य नेता सैफुद्दीन सोज के बयान ने तो हद कर दी। उन्होंने तो सीधे कश्मीर की आजादी की बात कर दी। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने एक इंटरव्‍यू के दौरान पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें मुशर्रफ ने कहा था कि कश्मीरी पाकिस्तान के साथ जुड़ना नहीं चाहते, उनकी पहली इच्छा आजादी है। सोज ने कहा कि यह बयान तब भी सच था और अब भी है। मैं भी ऐसा कहता हूं, लेकिन जानता हूं कि ऐसा संभव नहीं है।

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