उत्तराखंड के मौसम में बदलाव,धूल से उखड़ रही सांसे

कभी बादल, कभी धूप। इस तरह ही उत्तराखंड के मौसम में बदलाव हो रहा है। धूल से जहां लोगों को सांस लेने में दिक्कत आ रही है, वहीं, दिन में धूप से मैदानी क्षेत्र में तापमान में बढ़ोत्तरी हो गई है।

गुरुवार की सुबह दून में कुछ देर धुंध रहने के बाद धूप निकल गई। वहीं, गढ़वाल के पर्वतीय इलाकों में भी सुबह से ही धूप रही। कुमाऊं में कहीं धुंघ, कहीं धूप तो कहीं कोहरा रहा। मौसम में बदलाव के चलते मैदानी इलाकों में सर्दी कुछ कम हो गई है।

दून समेत मैदानी इलाकों के न्यूनतम तापमान में दो से पांच डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है। इससे ठंड कम महसूस हो रही है। बुधवार को दून का अधिकतम तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक 28.3 डिग्री सेल्सियस, जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 17.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

इसी तरह हरिद्वार के न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 16.3 जबकि ऊधम सिंह नगर का न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री अधिक 17.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि आसमान में धुंध छाये रहने से न्यूनतम तापमान में बढ़ोत्तरी हुई है। अधिकतम तापमान सामान्य के आसपास बना हुआ है। अगले दो से तीन दिन के बाद न्यूनतम तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस की कमी आने का अनुमान है।

धूल से बढ़ रही परेशानी 

वायुमंडल में धूल के कण स्वास्थ्य के लिहाज से नुकसानदायक हैं। ये सांस के जरिये फेफड़ों तक पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार धूल के कण दमा, अस्थमा और एलर्जी जैसी कई बीमारियों का कारण बनते हैं। यह उन लोगों के लिए और खतरनाक हैं, जो पहले से ही इन बीमारियों से पीड़ित हैं। उनके लिए यह जानलेवा साबित हो सकते हैं।

दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल के श्वास रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्वेताभ पुरोहित के अनुसार हवा में धूल के कण श्वास रोगियों के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। धूल के कण हवा के रास्ते सांस की नली में पहुंचते हैं, जिससे गला चोक हो जाता है।

इससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है। उन्होंने बताया कि श्वास रोग विभाग में जहां आमतौर पर 60-70 मरीज रोजाना पहुंचते हैं। पिछले दो दिन में यह संख्या बढ़ी है। यह संख्या 105-110 के करीब पहुंच गई है।

इधर, गांधी शताब्दी अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. प्रवीण पंवार बताते हैं कि बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता, जिसके चलते दोनों ही जहरीली हवा और मौसमी बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।

दमा के मरीजों को इस धूल भरे मौसम में खास ध्यान रखने की जरूरत है। दिल के मरीजों की दिक्कतें भी ऐसे दूषित हवा के चलते बढ़ जाती है। अगर किसी को धूल से एलर्जी है, तो वह भूलकर भी घर से बाहर ना निकलें। धूल के कण त्वचा, आंखें, गला, नाक और कान को भी प्रभावित हो सकते हैं।

इन बातों का रखें ख्याल 

-बाहर निकलते वक्त मास्क का उपयोग करें।

-मास्क न हो तो मुंह पर कपड़ा भी लपेटकर रख सकते हैं।

-मोटरसाइकिल चालक हेलमेट जरूर लगाएं और कार चालक शीशा बंद रखें।

-आंख के इंफेक्शन से बचने के लिए चश्मा पहनें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *