देहरादून: पदोन्नति, एसीपी समेत 13 सूत्री मांग को लेकर प्रदेश के करीब 10 लाख कर्मचारियों ने 27 अगस्त से बेमियादी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर 45 दिन का समय दिए जाने के बाद भी मांगों पर कार्रवाई न होने से खिन्न होकर उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा ने यह निर्णय लिया है।
शनिवार को यमुना कॉलोनी स्थित ऑफिसर्स क्लब में बैठक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। बैठक को संबोधित करते हुए संयुक्त मोर्चा के मुख्य संयोजक ठा. प्रह्लाद सिंह ने कहा कि एक जून 2018 को हुई बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आग्रह पर सरकार को 45 दिन का समय दिया गया था।
इसके बाद भी अब तक मांगों पर कोई सकारात्मक कार्रवाई न किया जाना सरकारी की कर्मचारी विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। यहां तक कि सातवें वेतन आयोग के भत्ते एवं शिथिलीकरण का प्रस्ताव कैबिनेट में ले जाने के बाद भी कार्रवाई लंबित है। संयोजक सचिव रवि पचौरी व संयोजक संतोष रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी शासन के अधिकारी सरकार व कर्मचारियों के बीच मतभेद पैदा करने में लगे हैं। इसलिए कर्मचारी प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन छेड़ने को विवश हो गए हैं। बैठक में मोर्चा संयोजक इंशारूलहक, दिग्विजय सिंह, अरुण पांडे, शक्ति प्रसाद भट्ट, विनोद थापा, आरपी बहुगुणा, सोहन सिंह आदि उपस्थित रहे।
यह है आंदोलन की रूपरेखा
26 जुलाई से दो अगस्त तक जनजागरण, तीन अगस्त से शाम छह बजे परेड ग्राउंड से सचिवालय व सभी जिला मुख्यालयों में कैंडल मार्च, सात अगस्त से इसी प्रकार मशाल जुलूस, 23 से 25 अगस्त तक कार्यबहिष्कार व 27 से अनिश्चितकालीन हड़ताल।
इन मांगों पर आंदोलन
– समस्त कार्मिकों/शिक्षकों को सेवाकाल में तीन अनिवार्य पदोन्नति या एसीपी के तहत 10, 16 व 26 वर्ष पर पदोन्नत वेतनमान।
– ऊर्जा निगम में 09, 14 व 19 वर्ष पर एसीपी का लाभ।
– 4600 ग्रेड-पे पाने वाले सभी शिक्षकों को 17,140 का बेसिक पे अनुमन्य करना।
– चतुर्थ श्रेणी में एसीपी के तहत 4200 ग्रेड-पे व मृत घोषित पदों को पुनर्जीवित करना।
– सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के मुताबिक सभी वेतन भत्तों का लाभ, लंबित महंगाई भत्ते का भुगतान समेत सातवें वेतन के तहत एरियर का भुगतान, स्थानांतरण एक्ट के तहत 52 वर्ष की आयु पार करने, वेतन समिति भंग करने, पदोन्नति शिथिलीकरण, पुरानी पेंशन बहाली, पदों में कटौती संबंधी मांगें।