नई दिल्ली । देश में आपातकाल को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने ट्विटर पर अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि आपातकाल के दिन असंख्य लोगों को बिना वजह कालकोठरी में डाल दिया गया था। शाह ने उन दिनों को याद करते हुए साझा किया है कि देश की जनता ने 21 महीनों तक अनेकों कष्ट और यातनाएं सही।
शाह ने अपने ट्विटर पर कहा है कि ऐसे आपातकाल में लोकतंत्र को पुनर्स्थापित करने में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले सभी देशवासियों को कोटि-कोटि वंदन। उन्होंने आगे लिखा है कि ‘1975 में आज ही के दिन कांग्रेस द्वारा मात्र सत्ता में बने रहने के अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश के लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी। देश की संसद को निष्क्रय बना कर उच्चतम न्यायालय को मूकदर्शक की हैसियत में तब्दील कर दिया गया। अखबारों की जुबान पर ताले जड़ दिए गए थे।’
26 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा
बता दें कि 26 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन ने इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल की घोषणा रेडियो पर पहले कर दी गई तथा बाद में सुबह मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए गए। 25 जून को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सुबह-सुबह इस अध्यादेश को कैबिनेट से पास करके राष्ट्रपति के पास भेजा था।
जेल में विपक्षियों का जमावड़ा
आपातकाल के दौरान देश में एक लाख से ज्यादा लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। करीब-करीब विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को सलाखों के पीछे डाल दिए गए। विपक्ष के कद्दावर नेता जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई को हिरासत में लिया जा चुका था। लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, जॉर्ज फर्नांडीस आदि बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया। लालू-नीतीश और सुशील मोदी जैसे बिहार के दिग्गज नेताओं को भी गिरफ्तार जेल भेज दिया गया। जेलों में जगह नहीं बची थी।
आपातकाल क्यों
1- 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगाया।
2- कोर्ट ने राज नारायण की याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया। इंदिरा पर वोटरों को घूस देना, सरकारी मशनरी का गलत इस्तेमाल जैसे 14 आरोप लगे थे। राज नारायण ने 1971 में रायबरेली में इंदिरा गांधी के हाथों हारने के बाद मामला दाखिल कराया था।
3- श्रीमती गांधी ने इस्तीफा देने से इन्कार करते हुए फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी। 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस कृष्ण अय्यर ने भी इस आदेश बरकरार रखा, लेकिन इंदिरा को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहने की इजाजत दी।
4- 25 जून 1975 को जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा के इस्तीफा देने तक देश भर में रोज प्रदर्शन करने का आह्वाहन किया। 25 जून 1975 को राष्ट्रपति के अध्यादेश पास करने के बाद सरकार ने आपातकाल लागू कर दिया।