दून में नहीं रुकेगा अतिक्रमण हटाने का अभियान

उत्तराखण्ड

देहरादून: शहर में सार्वजनिक मार्गों पर अतिक्रमण के विरुद्ध हाईकोर्ट के आदेशानुसार चल रहा प्रशासन का डंडा लगातार चलता रहेगा। दरअसल, बुधवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश को लेकर शासन-प्रशासन कुछ घंटे गफलत की स्थिति में रहे। देर रात तक उच्च स्तरीय बैठकों का दौर चलता रहा व न्याय विभाग से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परीक्षण कराया गया। सुप्रीम कोर्ट गया पक्ष दावा कर रहा था कि कार्रवाई पर रोक लग गई है, लेकिन देर रात अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में कोई भी बदलाव नहीं किया है।

सार्वजनिक मार्गों पर पहले की तरह से अतिक्रमण तोड़ा जा सकता है। हां, सरकारी जमीनों पर हुए अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट ने दस सप्ताह में प्रक्रिया पूरी कर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए हैं।

अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के विरूद्ध एक निजी विशेष अनुज्ञा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट इन इस याचिका पर अपना फैसला दिया है। इसमें पारित आदेश में सार्वजनिक मार्गों पर अतिक्रमण हटाने विषयक आदेश में कोई संशोधन और परिवर्तन नही किया गया है।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मार्गों से भिन्न स्थानों पर अतिक्रमण हटाने के संबंध में नगर निगम के सक्षम प्राधिकारी को तीन सप्ताह में संबंधित व्यक्ति को नोटिस, तीन सप्ताह उत्तर देने का समय तथा उसके बाद चार सप्ताह में सक्षम प्राधिकारी को न्यायोचित निर्णय लेने के आदेश दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद यदि कोई अतिक्रमण प्रकाश में आता है, तो ऐसे अतिक्रमण को 24 घंटे के नोटिस देने के पश्चात उचित कार्रवाई कर निर्णय लेकर हटाया जा सकेगा। उन्होंने दावा किया कि हाईकोर्ट के सामान्य निर्देशों में उक्त के अतिरिक्त कोई संशोधन और परिवर्तन नही किया गया है।

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