सर्राफा मण्डल की अनुकरणीय पहल, कैश शार्टेज में सहयोग को देश सेवा से जोड़ा

(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
देहरादून। इन दिनों बैंकों विशेषकर ए.टी.एम. में कैश शार्ट की समस्या सर्वत्र चर्चा का विषय बनी हुई है परन्तु सभी वर्गों के लोग देहरादून सर्राफा मण्डल की पहल को आंशिक अमल में ले आयें तो इस समस्या का तत्काल समाधान सम्भव है।
हमारे देश में किसी भी छोटी-बड़ी समस्या पर सरकार को कोसने की परिपाटी बन गई है। ऐसे नागरिक बेहद कम होंगे जो संकट के समय देश के प्रति अपने कर्तव्य को महसूस करते हों। आम तौर पर व्यापारियों विशेषकर सर्राफा व्यापारियों को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। व्यापारियों को स्वार्थी वर्ग की संज्ञा दी जाती रही है। देश के खजाने को टैक्सों के माध्यम से भरने वाले व्यापारियों को कभी मुनाफाखोर तो कभी किसी दूसरे अलंकारों से नवाजा जाता है।
इस संदर्भ में देहरादून के सर्राफा मण्डल ने बेहद अनुकरणीय पहल की है। मण्डल के अध्यक्ष सुनील मैसोन ने बैंक ए.टी.एम. में चल रही कैश शार्टेज को देश सेवा से जोड़ते हुए व्यापारियों से अपील की है कि कैश शार्टेज के समाधान के लिये देश हित में कार्य करें और कैश बिक्री के माध्यम से जो भी कैश आये, उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार कैश रोक कर शेष कैश बैंक खातों में जमा करें ताकि बैंक उस धनराशि को जरूरतमंदों को दे सके। उन्होंने व्यापारियों को प्रेरित किया है कि यह देश सेवा को दर्शाने का अवसर है अतः अतिरिक्त कैश बैंकों में जमा करें।
कई मौकों पर यह तथ्य प्रमाणित हो चुका है कि नोट हों या कोई सामग्री जब भी थोड़ी सी शार्टेज होती है, लोग उसे ज्यादा मात्रा में एकत्रित करने लगते हैं जिससे समस्या और भी बढ़ जाती है। ऐसा ही कैश शार्टेज में देखने को मिल रहा है। जो व्यक्ति अपनी जरूरत के लिये ए.टी.एम. से 5 हजार निकालता था अब शार्टेज की अफवाह से 20 हजार निकालने लगा है, परन्तु यदि सभी वर्गों के लोग सर्राफा मण्डल, देहरादून की अनुकरणीय पहल के अनुसार अमल करें और जरूरत भर का कैश रखें तो प्रथमतया शार्टेज होगी नहीं और यदि होगी भी तो तत्काल समाधान हो जायेगा। इस पहल के लिये सर्राफा मण्डल के अध्यक्ष सुनील मैसोन निसंदेह सराहना के पात्र हैं।

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