ऋषिकेश में केदारनाथ मंदिर की झलक देखने को मिलेगी,तैयार हो रहा मंदिर का प्रतिरूप

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का ख्वाब जितना खूबसूरत है, उससे भी खूबसूरत इसकी परिकल्पना है। उत्तराखंड में इस स्वप्निल परियोजना को मूर्त रूप देने में जुटे रेल विकास निगम ने इसके रेल स्टेशनों को भी स्थानीय भवन शैली में विकसित करने का निर्णय लिया है। इसीलिए परियोजना में बन रहे 11 में से चार स्टेशनों पर चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री का प्रतिरूप नजर आयेगा। इस कड़ी में सबसे पहले तैयार हो रहे योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन को केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है।

रेलवे स्टेशन योगनगरी ऋषिकेश का काम अपने अंतिम चरण में है। चार फरवरी 2020 से यहां ट्रेनों का संचालन होना है। स्टेशन की खासियत यह होगी कि यहां आकर यात्रियों को विश्व विख्यात केदारनाथ मंदिर का प्रतिरूप देखने को मिलेगा। स्टेशन के प्रवेश द्वार पर भगवान शिव के वाहन नंदी और इसके सामने ही भगवान शिव की विशालकाय मूर्ति स्थापित की जा रही है।

स्टेशन का मुख्य भवन भी बाहर से केदारनाथ मंदिर की तरह नजर आएगा। परियोजना के निदेशक ओपी मालगुड़ी ने बताया कि शेष अन्य स्टेशनों का निर्माण भी किसी न किसी पर्वतीय भवन की प्रतिकृति होगा। परियोजना के 11 में से किन्हीं तीन स्टेशनों को बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम का स्वरूप दिया जाएगा। इन स्टेशनों के चयन को प्रस्ताव मांगे गए हैं।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के स्टेशन 

ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना में यूं तो वीरभद्र स्टेशन को मिलाकर कुल 12 स्टेशन होंगे। मगर, नए स्टेशनों की संख्या 11 है। इनमें पहला स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश है। इसके बाद शिवपुरी, व्यासी, देवप्रयाग, मलेथा, श्रीनगर, धारी देवी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर, गौचर व  सेवई (कर्णप्रयाग) शामिल हैं।

योग नगरी ऋषिकेश में होंगी 13 लाइन 

योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन परियोजना का सबसे बड़ा स्टेशन होगा। इस स्टेशन यार्ड में 13 लाइन होंगी। यानी स्टेशन तैयार होने के बाद लंबी गाड़ियों के ऋषिकेश पहुंचने का रास्ता साफ हो जाएगा। अभी पुराने स्टेशन पर लंबी गाड़ि‍यों के खड़े होने की भी पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में गिनती की गाड़ि‍यां ही हरिद्वार से आगे आ पाती हैं।

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