उत्तराखंड: युवाओं के लिए घातक साबित हो रही कोरोना की दूसरी लहर, तीन दिन के भीतर 37 मौत

उत्तराखण्ड

देहरादून। कोरोना वायरस की दूसरी लहर पहले से ज्यादा घातक साबित हो रही है। कोविड-19 से जुड़ी सलाहकार समिति की रिपोर्ट से इसकी भयावहता का अंदाजा लगता है। समिति ने तीन दिन (21-23 अप्रैल) के बीच दून मेडिकल कॉलेज में हुई मौतों का ऑडिट किया। जिसमें पता लगा कि 58 प्रतिशत मरीजों ने भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर दम तोड़ा, जबकि 27 प्रतिशत की मौत भर्ती होने के 12 घंटे के भीतर हो गई। 70 प्रतिशत मामले ऐसे थे, जिनमें मरीज में पांच दिन के भीतर ही गंभीर लक्षण आए।

समिति के अध्यक्ष एवं एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र और दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तीन दिन (21-23 अप्रैल) के भीतर दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में 37 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई। इनमें 50 वर्ष से कम आयु के दस, 51 से 60 वर्ष आयु के बारह और 60 वर्ष से अधिक आयु के पंद्रह मरीज थे। मरने वालों में 43 प्रतिशत महिलाएं और 57 प्रतिशत पुरुष शामिल थे। 50 प्रतिशत मामले सीधे अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज थे, जबकि 50 प्रतिशत मरीज अन्य अस्पतालों से यहां रेफर होकर आए थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी है। इसमें सलाह दी गई है कि कोविड से बचाव के सभी दिशा-निर्देशों का बेहद कड़ाई से पालन कराने की जरूरत है।

इसके अलावा हर सीएचसी, पीएचसी स्तर तक भी कोविड जांच और इलाज की व्यवस्था की जाए। यहां मरीज के गंभीर होते ही उसे सीधे हायर सेंटर रेफर किया जाए। इससे कोरोना से होने वाली मौतों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

कोरोना के लक्षण होने पर भी घर में ही इलाज कर रहे लोग

समिति ने पाया है कि अभी भी अधिकतर लोग कोरोना के लक्षण होने पर घरेलू उपचार को तवज्जो दे रहे हैं, जिस वजह से महामारी फैल रही है। मरीज अस्पताल तब पहुंच रहे हैं जब उनकी सांसें उखड़ने लगती हैं। डाक्टरी भाषा में इस स्थिति को काफी गंभीर माना जाता है जिसमें रोगी से फेफड़ों तक विषाणु पहुंच जाते हैं। लिहाजा, जागरूकता पर बल दिया जाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लक्षण आने पर तत्काल अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जांच और इलाज कराएं।

-प्रो. हेम चंद्र (अध्यक्ष, सलाहकार समिति) ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में वायरस ज्यादा घातक है। लक्षण आने पर भी लोग जांच और इलाज के बजाए घर पर ही उपचार ले रहे हैं, जिस वजह से स्थिति बिगड़ रही है। जन सामान्य को जागरूक करना होगा, ताकि समय से जांच और इलाज हो।

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