आइआइटी के प्रोफेसर ने एक खास तरह का हेलमेट किया तैयार पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखण्ड

रुड़की। आतंकवाद से जूझ रहे क्षेत्रों में तैनात जवानों के लिए रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के प्रोफेसर शैलेश गणपुले ने एक खास तरह का हेलमेट तैयार किया है। विस्फोट प्रतिरोधी यह हेलमेट जवानों को पारंपरिक हेलमेट की तुलना में ज्यादा बेहतर सुरक्षा दे सकेगा।

इस नवाचार के लिए प्रोफेसर शैलेश को ‘एनएसजी काउंटर-आइईडी एंड काउंटर-टेररिज्म इनोवेटर अवार्ड 2021Ó से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) कैंपस, मानेसर हरियाणा में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया। जवानों की सुरक्षा के मद्देनजर नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की ओर से वर्ष 2020 में इस पुरस्कार की शुरुआत की गई थी।

आइआइटी रुड़की के यांत्रिक और औद्योगिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शैलेश गणपुले ने बताया कि यह पारंपरिक हेलमेट का ही उन्नत संस्करण है। उन्होंने बताया कि पारंपरिक हेलमेट आमतौर पर गोली से सुरक्षा के लिए डिजाइन किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि आइईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) धमाकों से ये हेलमेट सिर की सुरक्षा नहीं कर पाते। वजह यह है कि इनमें सिर और हेलमेट की ऊपरी परत के बीच खाली स्थान रहता है। धमाके से उठने वाली तरंगों के कारण सिर को इन तरंगों से नुकसान पहुंच सकता है।

प्रो.गणपुले ने बताया कि इससे बचने के लिए उन्होंने हेलमेट की ऊपरी परत पर एक खास तरह का पैड लगाया है। यह पैड विस्फोट से उठने वाली तरंगों के लिए शाकर का काम करता है। इसके अलावा चेहरे की सुरक्षा के लिए इस हेलमेट पर एक विशेष फेस शील्ड भी लगाई गई है। इसे ग्रेन्युलर (दानेदार) मैटीरियल से तैयार किया गया है। विस्फोट की तरंगों से इस फेस शील्ड को बेहद कम क्षति पहुंचती है और इससे चेहरा भी सुरक्षित रहता है। संस्थान के निदेशक प्रो. अजित चतुर्वेदी ने बताया कि प्रो.गणपुले का आविष्कार जवानों की सुरक्षा और आतंकवादरोधी प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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