देहरादून। बल्लीवाला में एक और फ्लाईओवर की संभावनाएं तलाशने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुस्त गति से आगे बढ़ रही सरकार के कदम थमते नजर आ रहे हैं। मुआवजा और निर्माण में करीब 120 करोड़ रुपये खर्च होने के चलते शासन ने इससे हाथ खींच लिए हैं। सरकार हाईकोर्ट में भी अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रही है। इसके लिए इन दिनों फिजिबिलिटी स्टडी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
जीएमएस रोड स्थित बल्लीवाला फ्लाईओवर कम चौड़ाई के चलते दुर्घटना का कारण बन रहा है। इस फ्लाईओवर पर 10 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। जबकि आए दिन यहां वाहनों की टक्कर में लोग चोटिल हो रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने यहां डिवाइडर लगाए, लेकिन यह भी ज्यादा उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं। इस मामले में मार्च 2018 में हाईकोर्ट ने सरकार को चौड़ीकरण के आदेश दिए थे।
इस आदेश के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग खंड ने टेक्निकल कंसल्टेंसी सर्विसेज को फिजिबिलिटी स्टडी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कंसल्टेंट नियुक्त किया। इस पर विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय राजमार्ग खंड को दी थी। यह रिपोर्ट शासन को भेजी गई। हाल ही में इस रिपोर्ट पर शासन के उच्चाधिकारियों ने मंथन किया।
इसमें बताया गया कि फ्लाईओवर के पास दूसरा फ्लाईओवर बनाने में करीब 30 करोड़ और जमीन अधिग्रहण, विद्युत, ओएफसी, सीवर लाइनें शिफ्ट करने पर 90 करोड़ खर्च होगा। ऐसे में पूरे प्रोजेक्ट पर 120 करोड़ खर्च होना तय है। समय पर काम न होने से इसकी लागत भी बढ़ सकती है। इस बैठक में शासन के अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के 120 करोड़ के प्रस्ताव पर सहमति देने से इन्कार कर दिया। इस संबंध में हाईकोर्ट के समक्ष अपनी बात रखने पर निर्णय लिया गया। इसके लिए न्याय विभाग से मार्गदर्शन के साथ रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग के चीफ इंजीनियर हरिओम शर्मा ने कहा कि फिजिबिलिटी स्टडी रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। नए फ्लाईओवर पर करीब 120 करोड़ रुपये करीब खर्च आना है। इतनी रकम खर्च कर फ्लाईओवर का निर्माण व्यवहारिक नहीं है। शासन के जो निर्देश मिलेंगे, उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।